उत्तराखंड के देहरादून में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित किया। विजय सम्मान रैली में संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “जब मैं यहां आ रहा था तो सोच रहा था कि मेरा उत्तराखंड से क्या रिश्ता है। फिर मुझे याद आया जब मैं छोटा था, दून स्कूल में पढ़ा करता था। आपके साथ दो-तीन साल रहा। आपने उस समय बहुत प्यार दिया। फिर एक और बात याद आई। शायद ये मेरे परिवार का और उत्तराखंड का रिस्ता है। मुझे वो दिन याद आया। 31 अक्टूबर जब मेरी दादी इस देश के लिए शहीद हुईं। मुझे फिर 21 मई याद आया, जिस दिन मेरे पिता इस देश के लिए शहीद हुए। कुर्बानी का रिश्ता है, मेरा और आपका। जो कुर्बानी हजारों, हजारों उत्तराखंड के लोगों ने दी है। वही मेरे परिवार ने दी है।”
उन्होंने कहा, “जो सेना में हैं, एयरफोर्स और नेवी में हैं, उन परिवारों को यह बात बहुत गहराई से समझ आएगी। पिता को खोना, भाई को खोना, आप लोग जानते हो समझते हो। मगर जिस परिवार ने ऐसी कुर्बानी नहीं दी, उनको यह बात समझ कभी नहीं आ सकती। आप कहते हो कि हमारे लोग बॉर्डर पर खड़े होते हैं, हमारे लोग सेना, एयरफोर्स और नेवी में होते हैं। आपको यह बोलना चाहिए कि उत्तराखंड ने हिंदुस्तान को सबसे ज्यादा खून दिया है और देता रहेगा।”
राहुल गांधी ने कहा, “बांग्लादेश की लड़ाई हुई और 13 दिन में पाकिस्तान ने अपना सिर झुका दिया। अमेरिका ने अफगानिस्तान को हराने के लिए 20 साल लगा दिए। हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को 13 दिन में हरा दिया। जो बांग्लादेश में 1971 में हुआ उसे गहराई से समझना चाहिए। एक तरफ हिंदुस्तान एक होके, एक आवाज के साथ खड़ा हुआ। कोई कहता है सेना ने लड़ाई जितवाई, कोई कहता है कि राजनीतिक कंसेप्ट ने लड़ाई जितवाई, लेकिन ऐसा नहीं है। हिंदुस्तान के हर परिवार, हर धर्म से जुड़े लोगों ने यह लड़ाई जितवाई।
उन्होंने कहा, “अगर हिंदुस्तान के लोग बंटे होते तो हम पाकिस्तान को 13 दिन में नहीं हरा सकते थे। यह लड़ाई इसलिए भी हम जीते कि क्योंकि पाकिस्तान बंटा हुआ था। साफ है, अगर हम एक साथ होकर लड़े तो कोई भी लड़ाई जीती जा सकती है। आज दुख की बात यह है कि देश को बांटा जा रहा है, कमजोर किया जा रहा है। पूरी की पूरी सरकार दो से तीन पूंजीपतियों के लिए चलाई जा रही है।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “तीन कृषि कानून, जो काले कानून थे वह किसानों को मदद करने के लिए नहीं उन्हें खत्म करने के लिए बनाए गए थे। किसान एक साथ खड़े हुए, डरे नहीं। एक साल बाद पीएम मोदी ने कहा कि गलती हो गई। माफी मांगता हूं। जो 700 किसान आंदोलन में शहीद हुए, उनके बारे में संसद में सरकार कहती है कि एक भी किसान शहीद नहीं हुआ। इस सरकार ने किसानों को मुआवजा तक नहीं दिया।”